AIIMS में शुरू हुआ कोरोना वैक्सीन का परीक्षण, 30 साल के व्यक्ति को दी गयी पहली खुराक

AIIMS में शुरू हुआ कोरोना वैक्सीन का परीक्षण, 30 साल के व्यक्ति को दी गयी पहली खुराक

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमित मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। यही नहीं रोज आने वाले मामलों में लगातार बढ़ौतरी भी हो रही। जो कहीं न कहीं लोगों के लिए चिंता का विषय है। हालांकि कोरोना वायरस को रोकने के लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं। वैसे जहां एक तरफ कोरोना वायरस को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना के इलाज को लेकर वैक्सीन बनाने के काम पर तेजी से लगे हुए हैं। ऐसे ही वैक्सीन से जुड़ी एक अच्छी खबर आई है। दरअसल भारत के पहले स्वदेश निर्मित टीके ‘कोवेक्सिन' के मनुष्य पर क्लीनिकल ट्रायल का पहला चरण शुक्रवार को यहां एम्स में शुरू हो गया और 30 से 40 साल की बीच की उम्र के एक व्यक्ति को पहला इंजेक्शन लगाया गया।

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बता दें कि एम्स में परीक्षण के लिए पिछले शनिवार से 3,500 से अधिक लोग अपना पंजीकरण करा चुके हैं जिनमें से कम से कम 22 की स्क्रीनिंग चल रही है। यह जानकारी एम्स में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रोफेसर और मुख्य अध्ययनकर्ता डॉ संजय राय ने दी।

डॉ. राय ने बताया, ‘‘दिल्ली निवासी पहले व्यक्ति की दो दिन पहले जांच की गयी थी और उसके सभी स्वास्थ्य मानदंड सामान्य स्तर पर पाये गये। उसे कोई अन्य बीमारी भी नहीं है। इंजेक्शन से 0.5 मिलीलीटर की पहली डोज उसे दोपहर 1.30 बजे के आसपास दी गयी। अभी तक कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखाई दिया है। वह दो घंटे तक देखरेख में था और अगले सात दिन उस पर निगरानी रखी जाएगी।''

क्लीनिकल परीक्षण में शामिल कुछ और प्रतिभागियों की स्क्रीनिंग रिपोर्ट आने के बाद शनिवार को उन्हें टीका लगाया जाएगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ‘कोवेक्सिन' के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए एम्स समेत 12 संस्थानों को चुना है। पहले चरण में 375 लोगों पर परीक्षण होगा और इनमें से अधिकतम 100 एम्स से होंगे।

डॉ. राय के अनुसार दूसरे चरण में सभी 12 संस्थानों से मिलाकर कुल करीब 750 लोग शामिल होंगे। पहले चरण में टीके का परीक्षण 18 से 55 साल के ऐसे स्वस्थ लोगों पर किया जाएगा जिन्हें अन्य कोई बीमारी नहीं है। एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के अनुसार दूसरे चरण में 12 से 65 साल की उम्र के 750 लोगों पर यह परीक्षण किया जाएगा।

अभी तक एम्स पटना और कुछ अन्य संस्थानों में भी पहले चरण का मानव परीक्षण शुरू हो चुका है। गुलेरिया ने कहा था, ‘‘पहले चरण में हम टीके की सुरक्षा देखते हैं जो सबसे महत्वपूर्ण है और खुराक की रेंज भी मापी जाती है।''

 

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